!! श्री यशोदालाल आरती !! , !! आरति करत यसोदा प्रमुदित !! , !! श्री कृष्ण जी की आरतीयां !!



!! श्री यशोदालाल आरती !!


















आरति करत यसोदा प्रमुदित,

फूली अङ्ग न मात।

बल-बल कहि दुलरावत

आनन्द मगन भई पुलकात॥



सुबरन-थार रत्न-दीपावलि

चित्रित घृत-भीनी बात।

कल सिन्दूर दूब दधि

अच्छत तिलक करत बहु भाँत॥



अन्न चतुर्विध बिबिध

भोग दुन्दुभि बाजत बहु जात।

नाचत गोप कुम्कुमा

छिरकत देत अखिल नगदात॥



बरसत कुसुम निकर-सुर-नर-

मुनि व्रजजुवती मुसकात।

कृष्णदास-प्रभु गिरधर को

मुख निरख लजत ससि-काँत॥

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