Swastik kyu bnate hai स्वास्तिक क्यों बनाते है
!! स्वास्तिक क्यों बनाते है !! स्वस्तिक का चिह्न एक विशेष चिह्न है जिसे किसी भी शुभ काम की शुरुआत के पहले बनाया जाता है। यह चिह्न कल्याण करने वाला माना जाता है। इसके बिना पूजा का शुभारंभ नहीं होता। हिंदू धर्म शास्त्रों में स्वस्तिक के चिन्ह को विष्णु भगवान का आसन और माता लक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है| स्वास्तिक शब्द का अर्थ स्वस्तिक शब्द का उद्भव संस्कृत मे 'सु' और 'अस्ति' से मिलकर बना है। यहां 'सु' का अर्थ है शुभ और 'अस्ति' से तात्पर्य है होना। स्वस्तिक का अर्थ है 'शुभ हो', 'कल्याण हो'। हिंदू धर्म में स्वस्तिक का बहुत महत्व है। किसी भी मंगल कार्य के शुभारंभ से पहले हिन्दू धर्म में स्वस्तिक का चिन्ह बनाने के बाद ही मंगल कार्य का शुभारंभ किया जाता है। स्वस्तिवाचन क्यों स्वस्तिवाचन हुए बिना हिन्दुओं का कोई भी धर्म कार्य सम्पन्न नहीं होता । गृहद्वार, मंगलघट और यहां तक कि व्यापारी की लोहे की तिजोरी पर भी 'स्वस्तिक' चिन्हित होता है। 'स्वस्तिक' चिन्ह , सत्य, शाश्वत्, शांति और अनंतदिव्य ऐश्वर्यसंपन्न सौंदर्य का मांगलिक चिन्ह तथ...