॥ हे गणपति तेरी आरती गाऊँ ॥
हे गणपति तेरी आरती गाऊँ। आरती गाऊँ देवा आपको मनाऊँ - २

सिर सोने का मुकुट विराजे लम्बी सूँड मेरो मन मोहे।
देख छबि मैं बलि बलि जाऊँ हे गणपति.... ॥ १ ॥
गौरा तुमको लाड़ लड़ावे भोला तुमको गोद बिठावे।
उन चरणों में शीश झुकाऊँ। हे गणपति.... ॥२॥
भक्त जन देवा तेरो यश गावे रिद्धि सिद्धि देवा चॅवर डुलावे।
उन चरणों के दर्शन पाऊँ। हे गणपति.... ॥ ३॥
रणत भवर देवा आप विराजो भक्तों के सब काज संवारो।
उन चरणों का मैं ध्यान लगाऊँ। हे गणपति..... ॥४॥