संदेश

!! श्री रघुवर आरती !! , !! आरती कीजै श्री रघुवर जी की !! , !! श्री राम जी की आरतीयां !!

चित्र
!! श्री रघुवर आरती !! आरती कीजै श्री रघुवर जी की, सत् चित् आनन्द शिव सुन्दर की। दशरथ तनय कौशल्या नन्दन, सुर मुनि रक्षक दैत्य निकन्दन। अनुगत भक्त भक्त उर चन्दन, मर्यादा पुरुषोतम वर की। आरती कीजै श्री रघुवर जी की...। निर्गुण सगुण अनूप रूप निधि, सकल लोक वन्दित विभिन्न विधि। हरण शोक-भय दायक नव निधि, माया रहित दिव्य नर वर की। आरती कीजै श्री रघुवर जी की...। जानकी पति सुर अधिपति जगपति, अखिल लोक पालक त्रिलोक गति। विश्व वन्द्य अवन्ह अमित गति, एक मात्र गति सचराचर की। आरती कीजै श्री रघुवर जी की...। शरणागत वत्सल व्रतधारी, भक्त कल्प तरुवर असुरारी। नाम लेत जग पावनकारी, वानर सखा दीन दुख हर की। आरती कीजै श्री रघुवर जी की...।

!! आरती श्रीकृष्ण कन्हैया की !! , !! मथुरा कारागृह अवतारी !! श्री कृष्ण जी की आर्तियां !!

चित्र
!! आरती श्रीकृष्ण कन्हैया की !! मथुरा कारागृह अवतारी, गोकुल जसुदा गोद विहारी। नन्दलाल नटवर गिरधारी, वासुदेव हलधर भैया की॥ आरती श्रीकृष्ण कन्हैया की। मोर मुकुट पीताम्बर छाजै, कटि काछनि, कर मुरलि विराजै। पूर्ण सरक ससि मुख लखि लाजै, काम कोटि छवि जितवैया की॥ आरती श्रीकृष्ण कन्हैया की। गोपीजन रस रास विलासी, कौरव कालिय, कन्स बिनासी। हिमकर भानु, कृसानु प्रकासी, सर्वभूत हिय बसवैया की॥ आरती श्रीकृष्ण कन्हैया की। कहुँ रन चढ़ै भागि कहुँ जावै, कहुँ नृप कर, कहुँ गाय चरावै। कहुँ जागेस, बेद जस गावै, जग नचाय ब्रज नचवैया की॥ आरती श्रीकृष्ण कन्हैया की। अगुन सगुन लीला बपु धारी, अनुपम गीता ज्ञान प्रचारी। दामोदर सब विधि बलिहारी, विप्र धेनु सुर रखवैया की॥ आरती श्रीकृष्ण कन्हैया की।

!! भगवान गिरिधारी आरती !! , !! जय जय गिरिधारी प्रभु !! श्री कृष्ण जी की आर्तियां !!

चित्र
!! भगवान गिरिधारी आरती !! जय जय गिरिधारी प्रभु, जय जय गिरिधारी। दानव-दल-बलहारी, गो-द्विज-हितकारी॥ जय जय गिरिधारी प्रभु, जय जय गिरिधारी। जय गोविन्द दयानिधि, गोवर्धन-धारी। वन्शीधर बनवारी ब्रज-जन-प्रियकारी॥ जय जय गिरिधारी प्रभु, जय जय गिरिधारी। गणिका-गीध-अजामिल गजपति-भयहारी। आरत-आरति-हारी, जग-मन्गल-कारी॥ जय जय गिरिधारी प्रभु, जय जय गिरिधारी। गोपालक, गोपेश्वर, द्रौपदि-दुखदारी। शबर-सुता-सुखकारी, गौतम-तिय तारी॥ जय जय गिरिधारी प्रभु, जय जय गिरिधारी। जन-प्रह्लाद-प्रमोदक, नरहरि-तनु-धारी। जन-मन-रञ्जनकारी, दिति-सुत-सन्हारी॥ जय जय गिरिधारी प्रभु, जय जय गिरिधारी। टिट्टिभ-सुत-सन्रक्षक रक्षक मन्झारी। पाण्डु-सुवन-शुभकारी कौरव-मद-हारी॥ जय जय गिरिधारी प्रभु, जय जय गिरिधारी। मन्मथ मन्मथ मोहन, मुरली-रव-कारी। वृन्दाविपिन-विहारी यमुना-तट-चारी॥ जय जय गिरिधारी प्रभु, जय जय गिरिधारी। अघ-बक-बकी उधारक तृणावर्त-तारी। बिधि-सुरपति-मदहारी, कन्स-मुक्तिकारी॥ जय जय गिरिधारी प्रभु, जय जय गिरिधारी। शेष, महेश, सरस्वति गुन गावत हारी। कल कीरति-बिस्तारी भक्त-भीति-हारी॥ जय जय गिरिधारी प्रभु, जय जय गिरिधारी। नारायण शरणागत, अति...

!! श्री गोपाल की आरती !! , !! श्री कृष्ण जी की आरतीयां !! , !! आरती जुगल किशोर की कीजै !!

चित्र
!! श्री गोपाल की आरती !! आरती जुगल किशोर की कीजै, राधे धन न्यौछावर कीजै। x2 रवि शशि कोटि बदन की शोभा, ताहि निरखि मेरा मन लोभा। आरती जुगल किशोर की कीजै...। गौर श्याम मुख निरखत रीझै, प्रभु को स्वरुप नयन भर पीजै। कंचन थार कपूर की बाती, हरि आये निर्मल भई छाती। आरती जुगल किशोर की कीजै...। फूलन की सेज फूलन की माला, रतन सिंहासन बैठे नन्दलाला। मोर मुकुट कर मुरली सोहै, नटवर वेष देखि मन मोहै। आरती जुगल किशोर की कीजै...। आधा नील पीत पटसारी, कुञ्ज बिहारी गिरिवरधारी। श्री पुरुषोत्तम गिरवरधारी, आरती करें सकल ब्रजनारी। आरती जुगल किशोर की कीजै...। नन्द लाला वृषभानु किशोरी, परमानन्द स्वामी अविचल जोरी। आरती जुगल किशोर की कीजै, राधे धन न्यौछावर कीजै। आरती जुगल किशोर की कीजै...।

!! श्री बाँकेबिहारी की आरती !! , !! कृष्ण जी की आरतीयां !! , !! श्री बाँकेबिहारी तेरी आरती गाऊँ !!

चित्र
 !! श्री बाँकेबिहारी की आरती !! श्री बाँकेबिहारी तेरी आरती गाऊँ। कुन्जबिहारी तेरी आरती गाऊँ। श्री श्यामसुन्दर तेरी आरती गाऊँ। श्री बाँकेबिहारी तेरी आरती गाऊँ॥ मोर मुकुट प्रभु शीश पे सोहे। प्यारी बंशी मेरो मन मोहे। देखि छवि बलिहारी जाऊँ। श्री बाँकेबिहारी तेरी आरती गाऊँ॥ चरणों से निकली गंगा प्यारी। जिसने सारी दुनिया तारी। मैं उन चरणों के दर्शन पाऊँ। श्री बाँकेबिहारी तेरी आरती गाऊँ॥ दास अनाथ के नाथ आप हो। दुःख सुख जीवन प्यारे साथ हो। हरि चरणों में शीश नवाऊँ। श्री बाँकेबिहारी तेरी आरती गाऊँ॥ श्री हरि दास के प्यारे तुम हो। मेरे मोहन जीवन धन हो। देखि युगल छवि बलि-बलि जाऊँ। श्री बाँकेबिहारी तेरी आरती गाऊँ॥ आरती गाऊँ प्यारे तुमको रिझाऊँ। हे गिरिधर तेरी आरती गाऊँ। श्री श्यामसुन्दर तेरी आरती गाऊँ। श्री बाँकेबिहारी तेरी आरती गाऊँ॥

!! भगवान नटवर आरती !! , !! नन्द-सुवन जसुमतिके लाला !! , !! श्री कृष्ण जी की आरतीयां !!

चित्र
!! भगवान नटवर आरती !! नन्द-सुवन जसुमतिके लाला, गोधन गोपी प्रिय गोपाला। देवप्रिय असुरनके काला, मोहन विश्वविमोहन वर की॥ आरती कीजै श्रीनटवर जी की। गोवर्धन-धर बन्शीधर की॥ जय वसुदेव-देवकी-नन्दन, कालयवन-कन्सादि-निकन्दन। जगदाधार अजय जगवन्दन, नित्य नवीन परम सुन्दर की॥ आरती कीजै श्रीनटवर जी की। गोवर्धन-धर बन्शीधर की॥ अकल कलाधर सकल विश्वधर, विश्वम्भर कामद करुणाकर। अजर, अमर, मायिक, मायाहर, निर्गुन चिन्मय गुणमन्दिर की॥ आरती कीजै श्रीनटवर जी की। गोवर्धन-धर बन्शीधर की॥ पाण्डव-पूत परीक्षित रक्षक, अतुलित अहि अघ मूषक-भक्षक। जगमय जगत निरीह निरीक्षक, ब्रह्म परात्पर परमेश्वर की॥ आरती कीजै श्रीनटवर जी की। गोवर्धन-धर बन्शीधर की॥ नित्य सत्य गोलोकविहारी, अजाव्यक्त लीलावपुधारी। लीलामय लीलाविस्तारी, मधुर मनोहर राधावर की॥ आरती कीजै श्रीनटवर जी की। गोवर्धन-धर बन्शीधर की॥ आरती कीजै श्रीनटवर जी की, गोवर्धन-धर बन्शीधर की॥ आरती कीजै श्रीनटवर जी की, गोवर्धन-धर बन्शीधर की॥ आरती कीजै श्रीनटवर जी की। गोवर्धन-धर बन्शीधर की॥

!! आरती कुंजबिहारी की !! , !! श्री कृष्ण जी की आरतीयां !!

चित्र
!! आरती कुंजबिहारी की !! आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की। गले में बैजंती माला, बजावै मुरली मधुर बाला। श्रवण में कुण्डल झलकाला, नंद के आनंद नंदलाला। गगन सम अंग कांति काली, राधिका चमक रही आली। लतन में ठाढ़े बनमाली; भ्रमर सी अलक, कस्तूरी तिलक, चन्द्र सी झलक; ललित छवि श्यामा प्यारी की॥ श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की॥ आरती कुंजबिहारी की श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥ x2 कनकमय मोर मुकुट बिलसै, देवता दरसन को तरसैं। गगन सों सुमन रासि बरसै; बजे मुरचंग, मधुर मिरदंग, ग्वालिन संग; अतुल रति गोप कुमारी की॥ श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की॥ आरती कुंजबिहारी की श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥ x2 जहां ते प्रकट भई गंगा, कलुष कलि हारिणि श्रीगंगा। स्मरन ते होत मोह भंगा; बसी सिव सीस, जटा के बीच, हरै अघ कीच; चरन छवि श्रीबनवारी की॥ श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की॥ आरती कुंजबिहारी की श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥ x2 चमकती उज्ज्वल तट रेनू, बज रही वृंदावन बेनू। चहुं दिसि गोपि ग्वाल धेनू; हंसत मृदु मंद,चांदनी चंद, कटत भव फंद; टेर सुन दीन भिखारी की॥ श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की॥ आरती कुंजबिहारी की श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी...