!! श्री कृष्णाष्टकम् !!



!! श्री कृष्णाष्टकम् !!








वसुदेव सुतं देवं

कंस चाणूर मर्दनम्।


देवकी परमानन्दं

कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम्॥1॥


अतसी पुष्प सङ्काशम्

हार नूपुर शोभितम्।


रत्न कङ्कण केयूरं

कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम्॥2॥


कुटिलालक संयुक्तं

पूर्णचन्द्र निभाननम्।


विलसत् कुण्डलधरं

कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम्॥3॥


मन्दार गन्ध संयुक्तं

चारुहासं चतुर्भुजम्।


बर्हि पिञ्छाव चूडाङ्गं

कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम्॥4॥


उत्फुल्ल पद्मपत्राक्षं

नील जीमूत सन्निभम्।


यादवानां शिरोरत्नं

कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम्॥5॥


रुक्मिणी केलि संयुक्तं

पीताम्बर सुशोभितम्।


अवाप्त तुलसी गन्धं

कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम्॥6॥


गोपिकानां कुचद्वन्द्व

कुङ्कुमाङ्कित वक्षसम्।


श्रीनिकेतं महेष्वासं

कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम्॥7॥


श्रीवत्साङ्कं महोरस्कं

वनमाला विराजितम्।


शङ्खचक्रधरं देवं

कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम्॥8॥


कृष्णाष्टक मिदं पुण्यं

प्रातरुत्थाय यः पठेत्।


कोटिजन्म कृतं पापं

स्मरणेन विनश्यति॥


॥ इति श्री कृष्णाष्टकम् सम्पूर्णम् ॥

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