॥ श्रीविघ्नहरण मङ्गलकरण ॥

यह गौरी सुत शिव का सपूत देवों में देव निराला, सन्मार्ग बताने वाला।
गणनाथ यही दिनानाथ यही २ श्री गजानन्द की आरती पापियों....॥१॥
यह गण में प्रिय पावन पुनीत पापों को मिटाने वाला, नव भक्ति बताने वाला।
यह दुःख हर्ता यह सुख कर्ता - २ श्री गजानन्द....॥२॥
यह लम्बोदर यह विघ्नेश्वर विघ्नों को मिटाने वाला, बिगड़ी को बनाने वाला।
गणनाथ यही गणराज यही २ श्री गजानन्द....॥३॥
हे लम्बोदर हे विघ्नेश्वर, कर दो उद्धार हमारा मैं शरण में तेरी आया।
दे दो भक्ति दे दो शक्ति - २ श्री गजानन्द.... ॥४॥